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Fever Diet: आमतौर पर लोग बुखार को गंभीरता से नहीं लेते। चाहे कामकाजी पुरुष हो या महिला, लोग इसे तब तक नजरअंदाज करते रहते हैं जब तक बुखार हद से ज्यादा न बढ़ जाए। शायद आप सोच रहे होंगे कि ये आदत ग़लत है. लेकिन बुखार पर विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि जब तक बुखार 103°F (39.4°C) तक न पहुंच जाए, तब तक घबराने की जरूरत नहीं है।
दरअसल, बुखार शरीर में तापमान बढ़ने के कारण होता है, जो मूल रूप से अस्थायी होता है। सच कहें तो बुखार बीमारी का संकेत है। वयस्कों को बुखार होने पर थोड़ी असुविधा महसूस हो सकती है, जो ओवर-द-काउंटर दवाओं से कुछ दिनों में ठीक हो जाता है। दवा के साथ उचित आहार लेने से भी बुखार आसानी से ठीक हो सकता है।
वैसे तो डॉक्टर की सलाह के बिना दवाएं नहीं लेनी चाहिए, लेकिन जब बुखार 103°F (39.4°C) या इससे अधिक हो जाए तो यह चिंता का विषय हो सकता है। दरअसल, अगर शरीर में कोई संक्रमण हो जाए तो बुखार उससे लड़ने में अहम भूमिका निभाता है।
लक्षण- जब आपके शरीर का तापमान 98.6°F (37 °C) से ज्यादा हो जाए, तो वह बुखार के लक्षणों में शामिल हो जाता है। बुखार के लक्षण बीमारी के आधार पर भिन्न भिन्न होते हैं-
हां, कभी-कभी 6 महीने से लेकर 5 साल के बच्चों में बुखार के कारण दौरे भी पड़ते हैं, जो एक साल के बाद खुद ही ठीक हो जाता है।
बुखार होने पर डॉक्टर से सलाह लेने में देरी नहीं करनी चाहिए, उसके बाद उनके निर्देशानुसार बच्चे के बुखार की निगरानी करनी चाहिए। अगर तीन दिन के बाद भी बुखार कम नहीं होता है तो डॉक्टर टेस्ट आदि कराने की सलाह देते हैं।
बच्चा - अगर बच्चा सामान्य रूप से खेल रहा है, बात कर रहा है, ठीक से संपर्क में है, खाना खा रहा है तो डॉक्टर सामान्य रूप से तीन दिन तक बुखार कम होने का इंतजार करने को कहते हैं। लेकिन इसके अलावा अगर बच्चे को उल्टी हो रही है, पेट में दर्द हो रहा है या शरीर में बेचैनी महसूस हो रही है तो बिना देर किए उसे डॉक्टर के पास ले जाना जरूरी है।
वयस्क - वयस्कों के लिए भी वही नियम लागू होते हैं जो बच्चों के लिए होते हैं। यदि मरीज़ सामान्य रूप से खा रहा है, सो रहा है और दैनिक कार्य कर रहा है, तो डॉक्टर तीन दिनों तक मरीज़ के लक्षणों और बुखार पर नज़र रखने के लिए कहते हैं। अगर तीन दिन के बाद भी बुखार कम न हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इसके अलावा अगर तीन दिन से पहले निम्नलिखित लक्षण महसूस हों तो डॉक्टर के पास जाने में देरी नहीं करनी चाहिए, जैसे-
अब तक तो आप समझ ही गए होंगे कि बुखार के दौरान ज्यादा चिंता किए बिना अगर सही तरीके से डाइट और दवा ली जाए तो बिना ज्यादा कमजोरी महसूस किए आसानी से ठीक किया जा सकता है। तो देर किस बात की, बुखार के दौरान आहार कैसा होना चाहिए, आइए इसके बारे में थोड़ा जानते हैं। ताकि अगर घर में किसी को बुखार हो तो आप उसे सही आहार देकर जल्दी स्वस्थ कर सकें।
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फीवर में डायट से सम्बंधित सबसे पहले जो बात आती है, वह है बुखार होने पर किन-किन चीजों से परहेज करना चाहिए। जिससे कि बुखार को आसानी से कंट्रोल में किया जा सके। उनमें सबसे पहले आता है आप बाहर का खाना कभी न खाएं, जिसमें निम्न पदार्थ मौजूद हैं –
अब तो आप समझ ही गए होंगे कि फीवर में डायट ऐसा होना चाहिए, जो पौष्टिकता से भरपूर हो और जल्दी हजम हो सके। असल में खाना ऐसा होना चाहिए जो हेल्दी और टेस्टी होने के साथ सुपाच्य भी हो।
अब तक इस संक्षेप विश्लेषण से आप समझ ही गए होंगे कि फीवर में डायट में क्या-क्या शामिल होना चाहिए और क्या नहीं। फीवर में डायट अगर ठीक होगा, तो बुखार के बाद शरीर को कमजोरी जैसी परेशानियां नहीं होंगी।
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